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उस मोड़ पर जाते हैं हम # कशमकश (उलझन)
जब भी उस मोड़ पर जाते हैं हम , दो राहों पर खड़े हो जाते हैं हम !
रहता हूं अपनों के साथ मैं , पर तुम्हारे खिलाफ नहीं !
खड़ा हूं तुम्हारे साथ मैं , पर अपनों के खिलाफ नहीं !
उस मोड़ पर जाकर हम किस राह को चुने ,
इस उलझन में फंस जाते हैं हम !
उस मोड़ पर जाकर यही सोचे हम की,
यह राह की मंजिल एक ही हो जाए !
तुम्हारा साथ और अपनों का साथ ,
दोनों हमारे लिए मुकम्मल हो जाए !
दुआ उस खुदा से हर बार , यही कर आते हैं हम
जब भी उस मोड़ पर जाते हैं हम !
© deep thinker
रहता हूं अपनों के साथ मैं , पर तुम्हारे खिलाफ नहीं !
खड़ा हूं तुम्हारे साथ मैं , पर अपनों के खिलाफ नहीं !
उस मोड़ पर जाकर हम किस राह को चुने ,
इस उलझन में फंस जाते हैं हम !
उस मोड़ पर जाकर यही सोचे हम की,
यह राह की मंजिल एक ही हो जाए !
तुम्हारा साथ और अपनों का साथ ,
दोनों हमारे लिए मुकम्मल हो जाए !
दुआ उस खुदा से हर बार , यही कर आते हैं हम
जब भी उस मोड़ पर जाते हैं हम !
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