...

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खालीपन…❤️
मन में बहुत उफ्फान उठते हैं। भावनाओं के ।
जिन्हें रोकना नहीं चाहते हैं हम।
और चाहती हूं बह जाऊ साथ उनके
जहां मर्जी बहां ले जाए।
खुद के उस खालीपन को मिटाने की कोशिश में। जो मुझे दूसरे से जुड़ने में मदद कर सके। और खुद के दिल में जगह दे सके।
कभी वक़्त की मार कभी बदले हालात ।
कभी रिश्तों में खटास कभी झूठी आस ।
बहुत सी उठापटक होती हैं मन में ।
सोचने को मजबूर करते हैं।
क्या हूं मैं क्या चाहती हूं खुद से।
क्यों मै दूसरों की तरह बन नहीं जाती।
झूठी मुस्कान मन में खोट ।
मतलब के रिश्ते क्यों बना नहीं लेती।
फिर लगता है शायद यही होना चाहिए साथ मेरे । और सोचती हूं दिल से दिमाग को किनारे रख । या फिर कोई समझ नहीं पाता मुझे।
या फिर बनी ही नहीं इस समाज की खातिर ।
जहां हर चीज की कीमत लगाई जाती है।
रिश्तों को भी तराजू में तोला जाता है।
एहसासों की भी बोली लगाई जाती है।
हर एहसास का मोल चुकाना पड़ता है। जहां इन्सान का भी हर घड़ी इम्तिहान लिया जाता है। कुछ लोगों के लिए शायद ये सब कुछ जायज़ होगा! लेकिन हर किसी के लिए तो नहीं ।।❤️
~P.s