...

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कहीं बदल कर जानवर ना बन जाए
दहजिब ही नहीं
ग़ालिब तेरा लहजा भी बदल रहा है
21 ई सदी में कपड़े ही नहीं
दिमाग भी नग्न हो रहा हैं
इश्क तो बस जरिया है
पैसा ही महंगा हुआ बस
इमान सस्ता हो गया है

© Jagdish Chandra jd