...

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जिंदगी का सफर
जिंदगी के इस अनोखे सफर में,
बस यूंही चलते जाना है।
इस सफर में कभी किसी को खोना है,
तो कभी किसी को पाना है।

राह में चाहें कितने ही कांटे बिछे हो,
फिर भी नहीं घबराना है।
अपनी मंजिल पर पहुंच कर,
परचम हमें लहराना है।

इस सफर में जो भी अनजान मिलें,
उन्हें भी अपना बनाना है।
अपनी दोस्ती के बीच में कभी,
जात-पात को लेकर नहीं आना है।

सबमें प्रेम बिखेरते-बिखेरते,
जिंदगी को यूंही गुजारते जाना है।
अंत में आकर फिर हमें,
इन पंचतत्वों में विलीन हो जाना है।



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