...

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मैं ऐसी ही हूं
किसी ने पूछा मुझसे की अपने बारे में बताओ मुझे,
तो एक ,दो बाते कहने के बाद क्या कहूं समझ ही नहीं आया मुझे।
फिर तस्सली से बैठ के सोचा मैने मेरे बारे में,
समझदार हूं , सब जानती हूं फिर भी चुप रहकर सब कुछ होते हुए देखने में विश्वास रखती में।
खत्म नही हुआ अभी और बातें सुनाती हूं,
सभी को हिम्मत देती पर खुद पर मुसीबत आने पर घबरा जाती हूं।
किसी से बात करना पसंद नहीं फिर भी दुखी होने पर साथ ढूंढती हूं मैं,
कई बार बड़ी मुसीबतों से इतना फर्क नहीं पड़ता और छोटी मुसीबतों से हार जाती हूं में।
कभी बिना मतलब के ही रोने लगती हूं,
और कभी गंभीर बातों में हंस देती हूं में।
अकेले में डांस करने में माधुरी दीक्षित बन जाती,
घर के फंक्शन में सबके आगे शरमाने लग जाती।
दोस्तों के आगे मुंह नहीं बंद होता,
और रिश्तेदारों के आगे उनके कहने पर भी नहीं खुलता।
कई बार अपनो पर गुस्सा हो जाती,
और कई बार गैरो की फिक्र सताती।
कई बार सेहत का बहुत ध्यान रखती,
और स्वादिष्ट खाना देखते ही सब भूल जाती।
कई बार सिर्फ वो करती जो खुद के मन में आता,
पर कई बार समाज के डर से पीछे हट जाती।
कई बार भगवान से शिकायत करती की मैं ऐसी क्यूँ हूं,
फिर सोचा मैं जैसे भी हूं, में ऐसी ही हूं और में ऐसी ही खुश हूं।




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