...

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💔तरसता आसमां, बरसता आसमां💔
फ़िर छाया धुंध और कुहासा जो,
गोया बहती बयार जाड़े की हो,

घिरे मेघ, लगते बड़ी पीड़ा में वो,
हुई कुछ हानि, कुछ तो गया है खो,

शिमला के पहाड़ों पर देखो तो,
बरसने बेमौसम बारिश लगी है जो,

मेरा ही प्रतिरूप है संभवतः वो,
रात भर ज़ार-ज़ार बरसता रहा जो,

यूं तो खिताब हासिल आसमां का उसे,
जाने किस बात को तरसता है वो?!
💧😢💧😢💧😢💧😢💧

—Vijay Kumar
© Truly Chambyal