...

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ये आँखों का काजल...
ये आँखों का काजल ये जुल्फों का घेरा
बड़ा खूबसूरत तेरा ये कहर है,
तू कातिल है, मरना है बस तेरे हाथों
के जन्नत मेरी तो तेरा ये शहर है।
ये आँखों का काजल....
के थम जाए सब कुछ, तू मुड़कर जो देखे
ये गुस्सा भी तेरा, अदा से क्या कम है?
तेरा रूठ जाना तो सह जाऊँ फ़िर भी
तेरा मुस्कुराना तो सचमुच सितम है।
ये आँखों का काजल....
अलावों का दरिया हैं आँखे ये तेरी
तुझे यूँ बनाया, खुदा का करम है,
कभी सोचता हूँ, तू सच है या यूहीं
मेरा खूबसूरत सा कोई भरम है।
ये आँखों का काजल.....

© AK. Sharma