कैसे जिएं हम।।।
कैसे जिएं हम
क्या क्या करें हम......
नफरत है पल रही दिलों में
आग सी जल रही दिलों में
भावनाएं दफना दी गई
रिश्ते मतलब के रह गए
आंसू की बारिश में गम को
कैसे पिएं हम
कैसे जिएं हम.....
सब अपनी धुन में हैं पागल
कोई तो हो रक्खा घायल
कोई तलाश में भटक रहा है
कोई बीच...
क्या क्या करें हम......
नफरत है पल रही दिलों में
आग सी जल रही दिलों में
भावनाएं दफना दी गई
रिश्ते मतलब के रह गए
आंसू की बारिश में गम को
कैसे पिएं हम
कैसे जिएं हम.....
सब अपनी धुन में हैं पागल
कोई तो हो रक्खा घायल
कोई तलाश में भटक रहा है
कोई बीच...