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वो कुछ गुलाब की पंखुड़ियाॅ


आज भी तुम्हारी दी गुलाब की कुछ पंखुड़िया मेरी डायरी में,
हमारी कहानियाॅ कहती हैं,
कभी गुफ्तगू करती हैं वो हमारे इश्क की,
तो कभी इतराती हैं खुद पे,
तुझसे मोहब्बत करने की गूरूर में
बेबाक बेफिकर दुनिया की जुल्म से,
अक्सर इज़हार-ए-मोहब्बत करती हैं वो,
कभी छू लू जो उन...