"आखरी ख्वाहिश"
सुनो,
अब जब बिछड़ ही गयी हो तो मेरी आखरी ख्वाहिश भी सुनती जाओ।
इन आँखों का काजल कभी बिखरने मत देना।
इन आँखों में कभी मैं रहा करता था।
इन चेहरे को कभी फीका मत पड़ने देना।
इन्हे मैं कभी चाँद कहा करता था।
ये हसी जो कभी मुझे तुझ तक खींच लायी थी।
इन हसी...
अब जब बिछड़ ही गयी हो तो मेरी आखरी ख्वाहिश भी सुनती जाओ।
इन आँखों का काजल कभी बिखरने मत देना।
इन आँखों में कभी मैं रहा करता था।
इन चेहरे को कभी फीका मत पड़ने देना।
इन्हे मैं कभी चाँद कहा करता था।
ये हसी जो कभी मुझे तुझ तक खींच लायी थी।
इन हसी...