...

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फितरत....❤️
कुछ फितरत उसकी बेगानी है,
खैर छोड़ो ये आदत उसकी बहुत पुरानी है!

जो समझना ना था!,
उसने वही समझा.. चाहत को मेरी!
उसकी समझदारी में भी कुछ नादानी है!

उसे लगता भी है दिल मेरा छल्ली है!
काश वो समझ पता ये सिर्फ;
उसकी ही ये निशानी है!

मैं ठहरी रही उसमें जैसे कोई साहिल सा
उसका मुझमें आना जाना..
जैसे दरिया सी रवानी है!

सोचती हूं क्यों चलता उसका
मुझमें इतना जोर है!
ये मेरी मोहब्बत है या सिर्फ
उसकी मनमानी है!
खैर छोड़ो...
ये आदत उसकी बहुत पुरानी है!!🥺
~P.s