...

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न जाने क्या बदल जाता है
तेरे साथ समय इतना तेज़ दौड़ा,
कि, तेरे बिना सब ठहरा सा लगता है अब;
जो समय तेरे साथ बीतता था;
तेरे बिना काटनी पड़ता है,

कुछ तस्वीरें बनाई थी, तुमने मेरी खातिर;
उन लकीरों को मैं अक्षर कि तरह पढ़ पाता हूं,
वो मेरे नाम तेरा प्रेम पत्र जैसा था;
जिसमें दुनियादारी की मिलावट नहीं थी

तेरे जाने का गम नहीं होगा, ऐसा नहीं है;
मगर वो गम...