...

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“तुम कितना कुछ कह जाते हो”
तुम चले जाते हो तो भी रह जाते हो
तुम दूर निकल जाते हो पर पास दिख जाते हो
तुम लौटने का वादा कर भूल जाते हो
तुम जा कर भी कहां जा पाते हो
तुम मुस्कुराते हो दिल को गुदगुदाते हो
तुम बड़ी बड़ी आंखें कर मुझे डरा जाते हो
तुम डांट लगाते हो या पुचकारते हो
तुम खुद रूठ कर भी मुझे मना जाते हो
तुम पास आते हो या दूर चले जाते हो
तुम अक्सर अब खयालों में रह जाते हो
तुम ख्वाबों में आकर सपनों में कह जाते हो
तुम मुझसे प्यार करते हो पर कह नहीं पाते हो
तुम बड़बड़ाते हो या चुप्पी तोड़ जाते हो
तुम बताते हो या कि छुपा जाते हो
तुम कुछ न कहकर भी कितना कुछ कह जाते हो
तुम आते हो फिर वापस नहीं जाते हो
तुम दिल में रहकर दिल को तड़पाते हो
तुम धड़कने बुनते हो या बढ़ा जाते हो
तुम जो भी हो बेज़ूबां दिल की आवाज बन जाते हो

© ढलती_साँझ