हुजूर! माई-बाप प्रणाम!
उस पहाड़ी के पास में जो गाँव है,
थोड़ा अलग है,
वहाँ के लोग थोड़े अलग हैं।
अलग यूँ
कि जब भी गाँव का आसमान
चिखों-चिल्लाहतों से भर जाता है लिए,
तभी कुछ लोग मंचों से कबूतर उड़ाते हैं।
और जब कभी भी प्रेम के गीतों से
पूरा गाँव जन्नत प्रतित होता है,
तभी गाँव से आने वाली नदी में
बहता एक जोड़े का लाश आता है।
ऐसी विपरीत धाराओं में भी
एक बात है,
जिसपर लगभग हर शख्स सहमत है
कि 'राजनीति बहुत गंदी चीज है'
दरअसल यह ख्याल हीं उनका हत्यारा है।
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