समाज से गुफ्तगू
आज बहुत समय बाद समाज से गुफ्तगू करने का मन कर रहा है,
हर कदम पर हमें तजुर्बों से भर दिया उससे कहने का मन कर रहा है,
जमाना कहता है कि हर बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है,
समाज में रहने लायक जिस समाज ने हमें बनाया उससे बड़ा विद्यालय कहां होता है,
हमारी हर बात को सही गलत के तराजू में जो हर वक़्त तौलता है,
उसी समाज से यह दिल मेरा आज कई सवाल पूछता है,
बेटी के स्वाभिमान की रक्षा को जो यह अपना फ़र्ज़ बताता है,
क्यों उसी फ़र्ज़ को बहू के लिए दबाकर संस्कार का राग गाता है,
घरेलू हिंसा के बारे में बड़ी...
हर कदम पर हमें तजुर्बों से भर दिया उससे कहने का मन कर रहा है,
जमाना कहता है कि हर बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है,
समाज में रहने लायक जिस समाज ने हमें बनाया उससे बड़ा विद्यालय कहां होता है,
हमारी हर बात को सही गलत के तराजू में जो हर वक़्त तौलता है,
उसी समाज से यह दिल मेरा आज कई सवाल पूछता है,
बेटी के स्वाभिमान की रक्षा को जो यह अपना फ़र्ज़ बताता है,
क्यों उसी फ़र्ज़ को बहू के लिए दबाकर संस्कार का राग गाता है,
घरेलू हिंसा के बारे में बड़ी...