...

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तुम ओर मै

तुम कुईया सा सांत नीर,मै नदियो का ऊफान हू
तुम सांत झील सी भरी हुई,मै समुद्रो का तूफान हू

तुम चंद्र चॉदनी सी सीतल,मै सूर्य कि आग समान हू
तुम फूलो जैसी हो कोमल,मै फूल के सूल समान हू

तुम राग भरी हो गीत गजल,मै मेले जैसा शोर हू
तुम अपने घर की रानी, मै अपने घर का चोर हू