...

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व्यापार नहीं करता,
निभाता हूं रिश्ते सब से मगर ऐतबार नहीं करता,
कि, नेक-गुमान हूं मैं रिश्तों का व्यापार नहीं करता,

और दखल देता नहीं मैं कतई अपनों की बातों में,
पता है हकीकत सबकी तभी इसरार नही करता,

और सोचा था कि चलना है मुताबिक दिल ए यार के,
भर लेता हूं झोली में ग़म-ए-हस्ती मैं इनकार नहीं करता,

तरीका जिन्दगी का आ गया है मुझे भी कुछ हद तक,
मिलता हूं अदब आदाब से मगर हंसके बात नहीं करता,

यार कहते हैं मैं पहले जैसा नहीं, तो हरगिज नहीं हूं मैं,
इधर उधर की बातों में बेवजह वक्त बेकार नहीं करता,

तोहमतें दिल ए यार की भी हैं, प्रदीप क्या ही किया जाए,
तन्हा बसर मुहाल थी पहले अब नज़र दो चार नही करता,


© #mr_unique😔😔😔👎