...

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ग़ज़ल
चोट दिल पर है कुछ निशाँ देखें,
आप भी दाग़ ए दिल फ़ुग़ाँ देखें।

वो मुजस्सम हिजाब की मूरत,
हम हैं ख़्वाहाँ की जीस्म ओ पाँ देखें।

हर घड़ी अब ख़्याल है उनका ,
हालत ए मर्द ए नौजवाँ देखें ।

जिस तरफ़ देखते हैं हम जानाँ,
तुम ही तुम हो कि हम जहाँ देखें ।

पी लिया इसलिए ज़हर सारा,
हम तमाशा ए मर्गो ओ जाँ देखें ।

हो गुज़र जिस में रन्ज ओ ख़लवत का,
चल के वीराँ में इक मकाँ देखें ।

ऐन मुमकिन है तुम जो बिछड़े तो,
हम तिरे बाद ये जहाँ देखें ।
© ishqallahabadi🖋