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ग़ज़ल
चोट दिल पर है कुछ निशाँ देखें,
आप भी दाग़ ए दिल फ़ुग़ाँ देखें।
वो मुजस्सम हिजाब की मूरत,
हम हैं ख़्वाहाँ की जीस्म ओ पाँ देखें।
हर घड़ी अब ख़्याल है उनका ,
हालत ए मर्द ए नौजवाँ देखें ।
जिस तरफ़ देखते हैं हम जानाँ,
तुम ही तुम हो कि हम जहाँ देखें ।
पी लिया इसलिए ज़हर सारा,
हम तमाशा ए मर्गो ओ जाँ देखें ।
हो गुज़र जिस में रन्ज ओ ख़लवत का,
चल के वीराँ में इक मकाँ देखें ।
ऐन मुमकिन है तुम जो बिछड़े तो,
हम तिरे बाद ये जहाँ देखें ।
© ishqallahabadi🖋
आप भी दाग़ ए दिल फ़ुग़ाँ देखें।
वो मुजस्सम हिजाब की मूरत,
हम हैं ख़्वाहाँ की जीस्म ओ पाँ देखें।
हर घड़ी अब ख़्याल है उनका ,
हालत ए मर्द ए नौजवाँ देखें ।
जिस तरफ़ देखते हैं हम जानाँ,
तुम ही तुम हो कि हम जहाँ देखें ।
पी लिया इसलिए ज़हर सारा,
हम तमाशा ए मर्गो ओ जाँ देखें ।
हो गुज़र जिस में रन्ज ओ ख़लवत का,
चल के वीराँ में इक मकाँ देखें ।
ऐन मुमकिन है तुम जो बिछड़े तो,
हम तिरे बाद ये जहाँ देखें ।
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