...

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प्रेम की डगर
नज़र आए तुम जहाँ रौशन हो गया
दिल ए गर्दिश मकाँ रौशन हो गया

यादों का एक शहर बसाया था कभी
ये दर्द भी कहाँ कहाँ रौशन हो गया

चूम के देखा जो मैने पेशानी को तेरी
दिल की लगी में धुआँ रौशन हो गया

बड़ी मासूम है मेरे प्रेम की डगर भी
मिटते हुए हर निशाँ रौशन हो गया

बरस जाया करो ख्वाबों में भी कभी
नैनों में तेरा चेहरा जवां रौशन हो गया
© सोनी