" औलाद "
उसे उदासी ! बस,उसकी बड़ी थी ...
गोद उसकी ! जो, अब तक ना भरी थी !!
मुहब्बत दोनों की ! तो, इक दूजे से खरी थी ...
फिर भी आँख उनकी ! हर माँह, क्यूँ सेहमी सी डरी थी !!
दवा दारू की मुशक्कत दोनों ने ! तो, सालों से बहोत करी थी ...
फिर ना जाने ! रब ने, क्यूँ...
गोद उसकी ! जो, अब तक ना भरी थी !!
मुहब्बत दोनों की ! तो, इक दूजे से खरी थी ...
फिर भी आँख उनकी ! हर माँह, क्यूँ सेहमी सी डरी थी !!
दवा दारू की मुशक्कत दोनों ने ! तो, सालों से बहोत करी थी ...
फिर ना जाने ! रब ने, क्यूँ...