10 views
ना जाने क्यों...???
ना जाने कितने सालों से एक नकाब पहना हुआ है मैंने...
ना जाने कितने अरमानों को खुद में ही दफ़न किया है मैंने...
ना जाने मेरे आने वाले कल की फ़िक्र में अपने आज को खोया है मैंने...
ना जाने कितनी बार आंखों में आए आंसुओं को गिरने से रोका है मैंने...
ना जाने कितने दिनों और रातों में शाम से खुद को महरूम रखा है मैंने...
ना जाने कितने सालों से अपनों के ख्वाब खातिर खुद को मसरूफ किया है मैंने...
ना जाने क्यों खुद से खुद ही दूर होता जा रहा हूं मैं...
ना जाने क्यों खुद ही खुद का गुनेहगार बन गया हूं मैं...
© Shabbir_diary
#diarywalawriter
Related Stories
35 Likes
2
Comments
35 Likes
2
Comments