...

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क्या मेरा भावनात्मक होना गुनाह है?
क्या मेरा बहुत कुछ महसूस करना गलत है?
दुख दर्द हंसी खुशी इनको महसूस करने का
मतलब ही तो है ना कि मैं जिंदा हूं?
तो क्या मेरा भावनात्मक होना गुनाह है?
क्या यह दूसरों को हक देगा मेरी भावनाओं के साथ खेलने का?
क्या यह दूसरों को हक दे देगा मेरे दिन को अच्छा या बड़ा बनाने का
न जाने क्यों लोगों की बात मेरे दिल पर लग जाती है
कोई अच्छा सा बोल दे तो दिन अच्छा गुजर जाए
और कुछ थोड़ा सा बुरा बोल दे तो मेरा पूरा दिन बिगड़ जाए
क्या मेरा भावनात्मक होना गुनाह है?




© @Aayushi_Yadav

#feelings #writco