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बाल गोपाल की लीला
💗"पालनहारा मोर मुकुट मुरलीवाला"💗

हर समय कण्ठी माला लेकर बैठे रहते हो ।
कभी कुछ दो पैसे का इंतजाम करो लड़की के लिए लड़का नहीं देखना।
आज फिर निर्मला ने रोज की तरह सुबह से ही बड़बड़ाना शुरु कर दिया।

अरे भाग्य वान ईश्वर पर विश्वास रखो ,
समय पर सब हो जाएगा ।
चौबे जी ने अपना गमछा संभालते हुए कहा।

इन चरणों में जो भी आये,
उसका जन्म सफल हो जाये।

निर्मला : हाँ ईश्वर तो जैसे घर बैठे ही लड़का भेज देंगे। भगवान के पास तो कोई काम है नहीं सिर्फ आपका ध्यान रखने के अलावा ।

अरे क्यों पूरा दिन चकचक करती रहती हो ? बैसे चौबेजी कभी गुस्सा नहीं होते।
वो तो बिमारी के चलते नोकरी छोड दी थी।
अब बस पूरा दिन बस गोपालजी की सेवा करते और उन्ही के बारे में ही सोचते हैं ।

निर्मला बोली जयपुर वाली मौसी बता रही थी ,
उनकी रिश्तेदारी में एक लड़का है ।
पर देखने तो जब आओगे ,
जब जेब में 1000-2000 रुपए होंगे ।
जो दस बीस रुपए बचते हैं ,
उन्हें भी अपने दोस्तों को उधार दे देते हो।
आज तक लौटाए हैं किसी दोस्त ने।

चौबेजी : आज तक कभी किसी चीज की कोई कमी हुई है । नहीं ना,
आगे भी नहीं होगी ईश्वर की कृपा से।
तुम तो मुझे भजन भी नहीं करने देती ।

निर्मला : भजन ही करना था तो शादी क्यों की ?
अब क्या वो बैठे-बिठाए तुम्हारी लड़की की शादी भी कर जाएंगे।

हाँ रहने दो बस । यह लो थैला पकड़ो और जाओ बाजार से रसोई के लिए सामान ले आओ और हां ,
जिस लडके के बारे में मैंने बात की है ।
उसके बारे में जरा सोचना परसों जाना है तुम्हें।
अब थोड़े बहुत पैसों के लिए हम एफडी तो तुडवाओगे नहीं सो जो यार दोस्तों को उधार दे रखे हैं उनसे जरा मांग लो।

थैला लेकर चौबेजी निकल तो गए लेकिन विचार यही है मन में। पैसों का इंतजाम कैसे होगा ?
सब्जी लेने से पहले जरा अपने एक दोस्त से अपने पैसों की बात कर ली जाए ।
जिस दुकान में काम करता है , वो भी पास ही है ।

मोहनलाल ने अपने मित्र को देखा तो गले लगा लिया । अरे चौबेजी कैसे आना हुआ ?

चौबेजी : कुछ ना भैया कुछ समस्या आन पड़ी है ।
पैसो की सख्त जरुरत है ?
अपने ही पैसे चौबेजी ऐसे मांग रहे हैं ,
जैसे उधार मांग रहे हो।

देखता हूँ साहब तो बिमार है चार...