महकती फिजायें
तुम्हें पाने की हसरत को मिटा हरगिज़ नहीं सकते
तुम्हें हम कितना चाहते हैं...ये जता भी नहीं सकते
महकती फ़िज़ाएँ अब भी हैं....तुम्हारा नाम लेते ही
बहारें जब-जब आती...
तुम्हें हम कितना चाहते हैं...ये जता भी नहीं सकते
महकती फ़िज़ाएँ अब भी हैं....तुम्हारा नाम लेते ही
बहारें जब-जब आती...