...

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एक मित्र
अजीब सी बात है उसमे,
सादगी की मिठास है जिसमे,
कोमल हथेली की सतह पर,
क्या लकीर पायी है उसने |

एक अजीब सी बात है उसमे,
मेरे मुस्कान की छाप है जिसमे,
सहनशीलता की मूरत है जो,
ऐसी कुदरती जान है उसमे ||

एक अजीब सी बात है उसमे,
स्नेह का सागर है जिसमे,
में नौका संभाल ना सका,
पर संभल चला निरंतर,
ऐसी लहर है जिसमे |||

एक अजीब सी जान है उसमे..... 🖊️🖊️
© Sarang Kapoor