...

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अधर
लेखक "जीतेन्द्र शर्मा सोज़

मे भुला नहीं सब कुछ याद वो
वो पहला पहला बारिस का मौसम
वो मखमली दुपट्टा ,,
जो तूने उस रोज़ जो ओड रखा था

सावन की पहली फुहार मे
भीग के बदन को जो तेरे छु रहा था

ऐसा लगा मानो यौवन तेरा
वक़्त से पहले छ्लक रहा था ,,

कुछ बुंदे जो तेरे होंठो पर गिर रही थी
मानो अधर रस बन के बरस रही थी

जो बुंदे तेरे गैसुओ मे उलझ रही थी
मानो काली घटा फिर से
बरसने को कह रही थी,,
© jitensoz