मुसाफ़िर को अपने यूं हताश ना कर....
ए ज़िंदगी तू यूं हताश ना कर
बहुत आस है तुमसे तू यूं निराश ना कर
वक्त से पहले जो मिला वो खो दिया
बेशक वक्त पर दे
मगर छीनने की मुझसे फिर आस ना कर
जो चाहा नहीं, वो मेरे हिस्से...
बहुत आस है तुमसे तू यूं निराश ना कर
वक्त से पहले जो मिला वो खो दिया
बेशक वक्त पर दे
मगर छीनने की मुझसे फिर आस ना कर
जो चाहा नहीं, वो मेरे हिस्से...