होलिका दहन क्यों
आज दहन की रात
चांद से सुंदर मुखड़े का
उठेगी जन ज्वाला अंगार
जलेगी एक नारी सम्मान
उठेगी गंगा में ज्वार आज
होगी हुल्लड़ो की सौगात।
आज दहन की रात
वह भी किसी की बहना थी
बेटी थी मां की गहना थी
प्रहलाद संग ली अग्नि समाधि
जो होना था वह हुआ नहीं
या घातो से हो गयी अघात।
होगी आज दहन की रात।
हर साल मनाते क्यूं होली
क्या जली होलिका न भूली
या हो रही तैयारी अब जलने की
हर दिन बेटी बहना कल की
फिर दहक उठेगी खाक।
आज दहन...
चांद से सुंदर मुखड़े का
उठेगी जन ज्वाला अंगार
जलेगी एक नारी सम्मान
उठेगी गंगा में ज्वार आज
होगी हुल्लड़ो की सौगात।
आज दहन की रात
वह भी किसी की बहना थी
बेटी थी मां की गहना थी
प्रहलाद संग ली अग्नि समाधि
जो होना था वह हुआ नहीं
या घातो से हो गयी अघात।
होगी आज दहन की रात।
हर साल मनाते क्यूं होली
क्या जली होलिका न भूली
या हो रही तैयारी अब जलने की
हर दिन बेटी बहना कल की
फिर दहक उठेगी खाक।
आज दहन...