...

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बेजार नहीं मैं
जख्म लग जाते तो आसानी से नहीं भरता मैं
क्या करु सबको परेशान नहीं करता मैं
मैं एक दरिया भी रहू
और रहू जंगल भी
किसी के कहने पर तैयार नहीं होता मैं
कभी मिल जाएगी नदिया भी किसी दरिया मे
टूटकर नदियों से कोई धार नहीं होता मैं
मिलता नहीं अब किसी दरख़्त तले
पर्वतों से भी कभी बेजार नहीं होता मैं
मौन हू या किसी तलास में हु
मोहब्बतो से तो बेजार नहीं होता मैं
बात हर बात वया करने नहीं सत्यम
समझता हू तो फिर बात नहीं करता मैं

© Satyam Dubey