...

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रण के शूरवीर
शूर धूल से घुले मिले हैं,
तभी तो रण में डटे पड़े हैं।
हुंकारों से शत्रु घीघ बने पड़े हैं,
वीर के संकल्प में पर्वत हिले पड़े हैं।
रक्त बहा पर मन न डिगा,
हर प्रहार पर साहस और बढ़ा।
विजय के पथ पर जो चल पड़े,
मृत्यु भी उनके आगे झुक पड़े।
भय को ठोकर, ज्वाला से खेलें,
आंधी में दीपक बनकर जलें।
न...