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दिसंबर की बारिश
दिसंबर की बारिश
और कुछ यादें
कोहरे की धुंध
और सर्द आहें
निगाहों की मायूसी
और बांहो की बेबसी
यूँ अंतर्मन का ठिठुरना
और तुम्हारी आत्मा के लिहाफ़ को
न ओढ़ पाने की लाचारी
चंद आंसुओ के कतरे
और एक ये इश्क़ की
लाइलाज बीमारी
एक नाज़ायज़ सी ज़िद
कुछ कर ना पाने की खीज़
एक तुम्हारा रूखापन
और एक मासूम मांस के लोथड़े जैसी चीज़

एक उसका धड़कना
एक उसका तरसना
एक हर सांस के आने जाने से
पहले उसका सौ सौ बार तड़पना
एक ,साल की आखिरी तारीख़
एक उस रात की बांहो में खोना
एक टकटकी आंखों की फ़ोन पर
एक तुम्हारी उम्मीद में रोना
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