!...आवाम ए हिंद...!
हक़ीक़त को समझ लो तुम, तो जाहिर भी कर देना
वाहिद है अगर कुछ तो, वाहिद की गवाही दो
दीवारों को मिलाकर ही किसी का घर बनता है
यहीं वो बात है सुन लो जो तुमको भी समझना है
कहानी लाख हो लेकिन हकीकत दब नहीं सकता
मिटाने...
वाहिद है अगर कुछ तो, वाहिद की गवाही दो
दीवारों को मिलाकर ही किसी का घर बनता है
यहीं वो बात है सुन लो जो तुमको भी समझना है
कहानी लाख हो लेकिन हकीकत दब नहीं सकता
मिटाने...