...

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प्रेम की बही
हमारे प्रेम की बही लिख दो,
मेरे तुम्हारे खाते में,बहते
आंसू का हिसाब लिख दो,
नहीं चाहते कुछ तुमसे अब
पलटू और मुलाकात हो तुमसे,
मेरे आखों से निकले आंसू रूपी
मोती और इन आखों से मोतियों
की अब बरसात हो,गुजरा हुआ वो
लम्हा कभी नादान बचपन था,जहां
थोड़ी हंसी थी,पल भर का दीदार
होता पर वो एक अलग खुशी थी,
अब बाते होने पे भी वो बात नहीं
होती,मेरी आंखों में उगी हुई जो वर्षों
के इंतजार की नमी हैं,उसका हिसाब
लिख दो ना,वो एक एक पल जो हमने
बिरह दर्द के कांटे हैं,उनमें थोड़ा रंग
भर दो ना,खुशियों की कीमत भी कितनी
हसीन थी,लाल जोड़े का कफन था,डोली
में सजी मेरी अर्थी थी,कहता हैं मन कहीं
खुशी खोज लूं मैं खयालों में कहीं तुमसे
मुलाकात कर लूं,उदासी हैं घेरे मुझे
तनहा अकेले तुम्हें देख खुश मैं खुद में
गम समेट लेती हूं ना,