...

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आईने आईने यह तो बता
आईने आईने यह तो बता
क्यों झूठ है दुनिया को इतना भाता

सच्चाई अपनी यहां सब जानते है
खुद को मुझमें देखकर नजर चुराते है
कोई देख न ले असली चेहरा छिपाते है
लोगो को मतलब अनुसार नकाब दिखाते है

सच नहीं होता चाशनी में लिपटा कभी
कभी कड़वी दवा कभी खंजर सा पैना है
चीखता है सच पर परवाह किसे है उसकी
झूठ की मिठास का नशा ही कुछ ऐसा है

यहां हर कोई बनावटी सच को झुठलाता
अपनी अपनी छुपी रह तो झूठ सब को भाता

© savii