जीवन का युद्ध...
बस थक कर के मैं बैठा हूँ, जीवन का युद्ध नहीं हरा हूँ.
चट्टानों सी ठोकर सहकर, कर्तव्य को अपने सवारा हूँ.
अब नहीं हटूंगा पीछे मैं, अंधेरो के इस चौखट से.
अधर्म से अब लड़ने के लिए, मैं धर्म का नया उजाला हु.
क्यों रखूँ निराशा उनके लिए, जीवन का मार्ग जो छोड़ दिए.
पग पग चलकर चट्टानों पर, मैं अपना बना सहारा हूँ.
लड़ता हूँ अपनी किस्मत से, तकदीर का लिक्खा क्या मानु.
बस सत्य के मार्ग पर चलता हूँ, मैं वीर हूँ, नहीं बेचारा हूँ.
है निशा अगर घनघोर भले, मैं अम्बर का एक तारा हूँ.
डर जाऊँ क्यों तुफानो से, जीवन का अपने किनारा हूँ.
मार्ग में अगर हैं शूल बिछे, उन्हें कुचलकर आगे जाना हैं.
रोकेगी मार्ग क्या हवा मेरी, विपरीत दिशा की धारा हूँ.
© Roshanmishra_Official
चट्टानों सी ठोकर सहकर, कर्तव्य को अपने सवारा हूँ.
अब नहीं हटूंगा पीछे मैं, अंधेरो के इस चौखट से.
अधर्म से अब लड़ने के लिए, मैं धर्म का नया उजाला हु.
क्यों रखूँ निराशा उनके लिए, जीवन का मार्ग जो छोड़ दिए.
पग पग चलकर चट्टानों पर, मैं अपना बना सहारा हूँ.
लड़ता हूँ अपनी किस्मत से, तकदीर का लिक्खा क्या मानु.
बस सत्य के मार्ग पर चलता हूँ, मैं वीर हूँ, नहीं बेचारा हूँ.
है निशा अगर घनघोर भले, मैं अम्बर का एक तारा हूँ.
डर जाऊँ क्यों तुफानो से, जीवन का अपने किनारा हूँ.
मार्ग में अगर हैं शूल बिछे, उन्हें कुचलकर आगे जाना हैं.
रोकेगी मार्ग क्या हवा मेरी, विपरीत दिशा की धारा हूँ.
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