...

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कान्हा दे दो दर्शन तुम।
नैना दर्शन को गए तरस तरस,
मन जाए मचल मचल,
सुद्ध बुद्ध गवा बैठी हूं,
तुम्हें पाने की आस में।

एक तो मोहिनी सूरत ऐसी,
दुजा मोहिनी मन,
दिन-रात नाम तुम्हारा रटती हूं ,
इस आस में की दोगे तुम मुझको दर्शन।

मांग रही सिर्फ दर्शन तुमसे,
करो यकीन तुम मेरा कान्हा,
चाहे दर्शन देकर मांग लो प्राण,
खुशी खुशी न्योछावर है।

कह रही तुमसे,
मैं यह बात।

कान्हा बस तुम दे दो दर्शन,
कर रही भक्ति तुम्हारी ।

इस संसार से दूर हूं मैं,
फिर क्यों तुम फसे कुंज बिहारी?

कान्हा बस तुम दे दो दर्शन ,
कह रही बस तुमसे यह प्यारी।

© Dolphin 🐬 (Prachi Goyal)