...

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#बोझ
एक वीराने से होकर गुजरती है
वो खामोशी का नक़ाब ओढ़कर
कदमों की आहट भी नहीं होती
कुछ ऐसी चाल से चलती है
अंधियारे से जूझकर
जब रोशनी में आती है
पहचान नहीं पाती खुदको
वो जब आईना निहारती है
कितनी मन्हूसियत लेकर जी रही है
कितनी आवारगी में जीएगी
यूं होगा एक दिन
कि लोग कहेंगे
बोझ है तू
ज़िन्दगी भर बोझ रहेगी ।।
© Zuri