#बोझ
एक वीराने से होकर गुजरती है
वो खामोशी का नक़ाब ओढ़कर
कदमों की आहट भी नहीं होती
कुछ ऐसी चाल से चलती है
अंधियारे से जूझकर ...
वो खामोशी का नक़ाब ओढ़कर
कदमों की आहट भी नहीं होती
कुछ ऐसी चाल से चलती है
अंधियारे से जूझकर ...