...

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मैं क्यो लिखता हूँ??
मै क्यो लिखता हूं
कैसा सवाल है यह
सोचू विचारु में वह

खोजते बीनते मैंने पाया यह
की
मै नही लिखता हूं।।

लिखवाया जाता है मुझसे
कभी भावनाओ की वेग में आकर
कभी मुसीबतों के घेरे में,
खुद को अकेला पाकर।।

प्रकट होती है कविता
भीतर से ही
जब विचारों की कई तरंगे
झुंझला रही होती मेरे मन को हैं।

मेरी भावनाओं मेरे विचारों
को रूप देने के लिए
रोते वक्त सहारा बनने के लिए
हस्ते वक्त मेरी खुशी
में चार चांद लगाने के लिए।

न जाने कहा से
भीतर के ही किसी आवास से
उभर आती है पंक्तिया
और बन जाती है कविता।।

सब कुछ बस होता चला जाता है
लेखक को तो आभास ही
लिखने के बाद होता है।

ऐसा लगता है जैसे
मुझे परिभाषित करने के लिए
मेरे विचारों को दूसरो तक
पहुचाने के लिए

स्वयं ही
ढल जाते है ये शब्द
और बन जाती है कविता।
मै नही लिखता हूं
परिस्थितिया लिखवाती है मुझसे
एक कविता।।

#Darsh3232 #Selfperfection #Philosophies #LifeQuote
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