...

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ओ मेरे आंगन की चिड़िया... बेटियां...
ओ मेरे आंगन की चिड़िया चाहे तुझको कौन रे...
तेरा जिम्मा अब तू ही उठा ले, सब तो रहते मौन रे...
तू जब इस दुनिया में आई, तेरे आने पर था सोचा गया,
क्या ज़रूरत है तुझे लाने की तेरी मां को भी था रोका गया...
तेरे दहेज का डर, तेरी बाली उमर, ये हवस की दुनियां, फिर पढ़ाई का खर्च...
तेरी लाज शरम, मेरे फूटे करम, क्या बोलेगा समाज, हाय तेरी लाज....
तेरे आने के पहले ये सब सोचा जायेगा...
अभी तो तू दुनिया में आई भी नही,
सोचते ये तेरे घर से जाने पर बार बार टोका जाएगा...

फिर भी...
दुनिया से लड़ती खुद की जान सम्हाले,
दुनियां में आई सब भ्रम दूर कर डाले,
फिर भी पवित्र सीता को जग में अपनी पवित्रता सिद्ध कर बताना होगी...
न दामन पर है दाग तुम्हारे ये भ्रम की छाया हटाना होगी...

हमने तो बस कहा सुना पर तुमने तो हर क्षण को जिया है,
स्वयं दिए की बाती सा जल कर जग को रोशन किया है...
मै जानता हु तुझे ये तेल बाती सब यूं ही नही मिला है,
घर की, कभी बाहर की, कभी दुनिया का सितम सहा है...

अगर यूं ही तुम चमकती रही तो अब सब ही दिया जलाएंगे...
बेटा नही मुझे बेटी भी चाहिए, फिर बेटी घर घर में लाएंगे...

याद रहे सुन चमकती चांदनी तुझे जग को ऐसे चमकाना है,
सारी दुनिया कहे हमे बेटी चाहिए, तुझे घर घर बेटी को लाना है...

है बड़ी ये जिम्मेदारी, क्या आज है तैयारी तुम्हारी...
जो दुनिया में है बेटियां उनके लिए तुम्हे ये जिम्मा उठाना है...
ओ मेरी बहनों और सखियों सुनो, सुने पत्नी मेरी,मेरी मां को भी कुछ ऐसा कर के दिखाना है...
सारा जग कहे हमे बेटी चाहिए...
हमे घर घर बेटी को लाना है...

Radhe Radhe🙏
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© Satish Sonone