मैं धीरे धीरे ही सही पर अब अपना नाम बना रहा हूं
टूट सा गया हूं मैं मेरा अब दिल से दिल तक वाला किसी से राबता नही होता
मैं बातें कर लेता हूं महफिलों में लोगो से और झूठ भी बोलता हूं की तुम मेरी जान हो
पर मैं हकीकत में अब मेरा किसी से कोई वास्ता नहीं होता
पहले भीड़ में मेरी पहचान होती थी पर आज कल खुद की एक अलग पहचान बना रहा हूं
मैने कैद कर लिया है खुद को अपने ही zone में और श्यारियाँ लिखता हूं आज कल मैं खुद का एक नाम बना रहा हूं
बहुत गिराया है मैने खुद को लोगो के साथ...
मैं बातें कर लेता हूं महफिलों में लोगो से और झूठ भी बोलता हूं की तुम मेरी जान हो
पर मैं हकीकत में अब मेरा किसी से कोई वास्ता नहीं होता
पहले भीड़ में मेरी पहचान होती थी पर आज कल खुद की एक अलग पहचान बना रहा हूं
मैने कैद कर लिया है खुद को अपने ही zone में और श्यारियाँ लिखता हूं आज कल मैं खुद का एक नाम बना रहा हूं
बहुत गिराया है मैने खुद को लोगो के साथ...