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मैं धीरे धीरे ही सही पर अब अपना नाम बना रहा हूं
टूट सा गया हूं मैं मेरा अब दिल से दिल तक वाला किसी से राबता नही होता

मैं बातें कर लेता हूं महफिलों में लोगो से और झूठ भी बोलता हूं की तुम मेरी जान हो

पर मैं हकीकत में अब मेरा किसी से कोई वास्ता नहीं होता

पहले भीड़ में मेरी पहचान होती थी पर आज कल खुद की एक अलग पहचान बना रहा हूं

मैने कैद कर लिया है खुद को अपने ही zone में और श्यारियाँ लिखता हूं आज कल मैं खुद का एक नाम बना रहा हूं

बहुत गिराया है मैने खुद को लोगो के साथ जुड़े रिश्तों को बचाने के लिए

पर अब नहीं अब मैं अपनी अकेलेपन की दुनिया में खुद का भी एक आत्मसम्मान बना रहा हूं

मुझे पता है की मैं इस अकेलेपन में और मेरी अलग पहचान बनाने में मैं काफी बिखरूंगा भी

थोड़ी कठिनाइयां होंगी थोड़ी मुसीबतें होंगी पर मेहनत करूंगा मेरी जान

क्योंकि मेरा मानना है की मैं अपनी मेहनत के साथ एक ना एक दिन निखरूंगा भी

मैं किस्मत पर भरोसा नहीं करता मुझे अपने कामों पर यकीन है

मैं रब से कुछ नही मांगता मुझे अपने अपने कर्मो पर यकीन है

मैं लोगो की कहीं बातो की परवाह नही करता क्योंकी इनका काम है लोगो को नीचे खींचने का

और मैं गलत नही हूं इस बात पर सिर्फ मुझको ही नही मेरी मां को भी इसपर यकीन है

#love #poetry








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