व्याख्या ख़ुद की
सीरत से सुलझी
भावनाओं में उलझी
बचना है कभी व्यंग वचनों के वार से
तो कभी कटु...
भावनाओं में उलझी
बचना है कभी व्यंग वचनों के वार से
तो कभी कटु...