...

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सींचकर लहू से हरियाली कर गये
सींचकर लहू से हरियाली कर गये,
इतिहास के पन्नों में अमर कहानी रच गये,
हमारे भविष्य की थी चिंता उन्हें,
इसीलिए अपनी जवानी की बलिदानी दे गये,
धरा पर उगा हर एक पौधा,
वीरता की गाथा सुनाते हैं,
आपके पुण्य कर्मों की,
पवित्र संगीत सुनाते हैं,
हे पुण्य आत्मा,
हे वीर शहीद,
हमारे हृदय में बसने वाले,
भारत माॅं के वीर सपूत,
दी थी आपने बलिदानी,
तभी तो आज हम खिल रहे हैं,
आपकी इस बगिया में,
आजादी से हम घूम रहे हैं,
सींचकर लहू से हरियाली कर गये,
इतिहास में एक स्वर्णिम कहानी रच गये।