...

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मैं हिमकण, आफताब तू.!
तेरे एहसास से ही पिघल जाऊं मेरा वजूद इतना है,
मैं खुद भी कम हूं खुद में, तू मुझमें मौजूद इतना है,
अंधकार थी जिंदगी, तू आया फिर सवेरे लिए।
•• हिमकण हूं मैं, तू आफताब मेरे लिए।।

बस मैं सिर्फ़ मैं ही था स्थिर पड़ा...