...

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डर - Darr
डर बल है, तो दुर्बल भी....
यिसे कैसे अपना ना है,
कुद्पे निर्बन है !

किसि को जीत से डर है,
तो किसि को हार से.............
किसि को लाभ से डर है,
तो किसि को नुक्सान से...........
किसि को कुच पानेकि डर है,
तो किसि को कुच खोनेकि................
जब डर से दिल द्दडके,
कदम अपना डग्मगये !
डर से जब भवुक हम हुये,
मंज़िल अपना भद्के !

डर सहि रहा दिकये,
तो दीवर भि खदि कर्दे.............
डर हमेय साहसी बनये,
तो कभि कायर भि.............
डर हमेय आज्ञाकारी बनये,
तो कभि अवज्ञाकारी भि...............
डर हमेय सीमित बनये,
तो कभि लाल्चि भि..................
जब मन मे कोयि मोह नही,
तो डर किस बत कि !

डर से भय्भीत होकर,
डर पे ना जीत पावो, ना हार पावो !
बस डर पे शिक्षन पावो, और परीक्षण हो !
यित्ना ज्ञान रहे,
डर हम्पे नियंत्रण ना करे,
हम डर को नियंत्रण मे रके !
और ज़िंदगी मे आजे भद्ते रहे !!!!!!!!!!!!!