...

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चुपाने आ जाओ हमको
तुम्हारी याद के मोती पिरोते रहते हैं ,
चुपाने आ जाओ हमको हम रोते रहते हैं,

जिनसे घबराकर खुदकुशी कर लेते हैं लोग
ऐसे हादसे तो हम पे रोज़ होते रहते हैं,

तुम्हारा फूल सा चेहरा हमारी आंखों में,
मुरझा न जाए सो पलकें भिगोते रहते हैं,

दुआएं मां की बचा ही लेती हैं हर बार,
ये दुनियां वाले तो हमको डुबोते रहते हैं,

चंद चेहरे रह जाते हैं उम्र भर को दिल में,
यूं तो कई चेहरे मिलते हैं खोते रहते हैं,
© राम अवतार "राम"