...

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समझा करो

शायरी क्या करें हम तो गुफ्तार हैं?
चंद जुमलों में हम गिरफ्तार हैं।

इश्क ने कुछ ऐसे है रुलाया मुझे।
बस इसी बात का ये सरोकार है।

ना ओ कैफ है और न लैला रही।
नासमझ के भी सब होशियार हैं।
© abdul qadir