वस्ल
रात कहती है जरा मुझको गुनगुनाने दो
सुबह जो बात हुई है उसे बताने दो
दिल ए करार मिला ऐसा वस्ल हो आया
ज़र्रा ज़र्रा अब तो मेरा महक जाने दो
नज़र मिली जो मेरी उस नगीने से
सज गयी शाम वही मेहरबां करीने से
धड़कनों ने तो जाने कैसा खेल कर डाला
तर बतर होने लगे दोनों फिर पसीने से
डरते डरते ही सही दिल कि बात कह डाली
तेरा दीवाना हुआ देख रुत ये मतवाली
बेचैन मन को मेरे अब करार मिल पाया
हाथ थम्भा जो तूने मेरा ओ सरमाने वाली
© Abhishek maurya
सुबह जो बात हुई है उसे बताने दो
दिल ए करार मिला ऐसा वस्ल हो आया
ज़र्रा ज़र्रा अब तो मेरा महक जाने दो
नज़र मिली जो मेरी उस नगीने से
सज गयी शाम वही मेहरबां करीने से
धड़कनों ने तो जाने कैसा खेल कर डाला
तर बतर होने लगे दोनों फिर पसीने से
डरते डरते ही सही दिल कि बात कह डाली
तेरा दीवाना हुआ देख रुत ये मतवाली
बेचैन मन को मेरे अब करार मिल पाया
हाथ थम्भा जो तूने मेरा ओ सरमाने वाली
© Abhishek maurya
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