...

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ख्वाहिशें
ख्वाहिश-ए-दिल है
तेर आइना हो जाने की
हर सुबहा नूर-ए-आफताब की झलक
तेरी मुस्कान का दीदार पाने की

घुल जाऊँ फ़िज़ा मे मैं
जहॉं गूंजती हो हंसी तेरी
तेरे रंग में रंगी हर हसरत मेरी
तेरे मकान की दर-ओ-दीवार हो जाने की

ग़म की नमी से जो भर आंए आँखें
अश्क़ बन कर तेरे रुख़ से फिसल जाने की
नादान सी ख्वाहिशें करता है दिल
तेरा हो जाने की फिर तुझ पर ही मिट जाने की।

© IdioticRhymer