तमन्ना-ए-विसाल-ए-यार
तमन्ना-ए-विसाल हैं, यार मैं आ भी न सकूँ,
चाहता हूँ तुम आओ, मगर बुला भी न सकूँ।।
दयार-ए-दिल ख़्वाहिशों का दरिया हो गया,
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ।।
किसी बात पे बिगड़ी होती तो मना भी लेता,
बात ही बिगड़ गई, और बातें बना भी न सकूँ।।
तुझे भुलने की तमाम कोशिशें...
चाहता हूँ तुम आओ, मगर बुला भी न सकूँ।।
दयार-ए-दिल ख़्वाहिशों का दरिया हो गया,
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ।।
किसी बात पे बिगड़ी होती तो मना भी लेता,
बात ही बिगड़ गई, और बातें बना भी न सकूँ।।
तुझे भुलने की तमाम कोशिशें...