आज मरने की सोचते हैं।
आज मरने की सोचते हैं,
जिस्म देख कर ये ज़माना अश्क बहाए तो सही,
झूठी मगर बेशक तारीफों के फुल बरसाये तो सही;
क्या पता कब तक आजमाएगी ये ज़ालिम ज़माने की दो पल की...
जिस्म देख कर ये ज़माना अश्क बहाए तो सही,
झूठी मगर बेशक तारीफों के फुल बरसाये तो सही;
क्या पता कब तक आजमाएगी ये ज़ालिम ज़माने की दो पल की...